Madhu varma

Add To collaction

लेखनी कहानी -आत्मा को लोक और परलोक में कष्ट मिलता है - डरावनी कहानियाँ

आत्मा को लोक और परलोक में कष्ट मिलता है - डरावनी कहानियाँ

 आत्मा को तात्कालीन सुख सत्कर्मों में आता है। शरीर की मृत्यु होने के उपरान्त जीव की सद्गति मिलने में भी हेतु सत्कर्म ही हैं। लोक और परलोक में आत्मिक सुख शान्ति सत्कर्मो के ऊपर ही निर्भर है। इसलिए आत्मा का स्वार्थ पुण्य प्रयोजन में है। 

शरीर का स्वार्थ इसके विपरीत है। इन्द्रियां और मन संसार के भोगों को अधिकाधिक मात्रा में चाहते हैं। इस कार्य प्रणाली को अपनाने से मनुष्य नाशवान शरीर की इच्छाएं पूर्ण करने में जीवन को खर्च करता है और पापों का भार इकट्ठा करता रहता है। 

इससे शरीर और मन का अभिरंजन तो होता है, पर आत्मा को इस लोक और परलोक में कष्ट उठाना पड़ता है। आत्मा के स्वार्थ के सत्कर्मों में शरीर को भी कठिनाइयाँ उठानी पड़ती हैं। तप, त्याग, संयम, ब्रह्मचर्य, सेवा, दान आदि के कार्यों में शरीर को कसा जाता है। तब ये सत्कर्म सधते हैं।

   0
0 Comments